*
कल हमारे पड़ोसी शास्त्री जी के बहनोई आये थे .
बातों-बातों में बोले -
'हमारे साले शास्त्री जी स्त्री के बिना बिलकुल नहीं रह सकते. समझो बिलकुल बेकार हो जाते हैं.तो हमेशा साथ लिये घूमते हैं .'
'क्या कह रहे हो ?'
'सच कह रहा हूँ .'
'अच्छा.तुम्हीं से सुना ,और तो कोई नहीं कहता ?'
'तुम ख़ुद देख लो ,कोई कहे चाहे न कहे .सच तो सच ही रहेगा '.
किसी की समझ में ही नहीं आ रहा था .
'बहस करने से कोई फ़ायदा नहीं .तुम्हीं देखो ''शास्त्री" की "स्त्री" निकाल दो तो क्या बचा?'
"शा" .
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कल हमारे पड़ोसी शास्त्री जी के बहनोई आये थे .
बातों-बातों में बोले -
'हमारे साले शास्त्री जी स्त्री के बिना बिलकुल नहीं रह सकते. समझो बिलकुल बेकार हो जाते हैं.तो हमेशा साथ लिये घूमते हैं .'
'क्या कह रहे हो ?'
'सच कह रहा हूँ .'
'अच्छा.तुम्हीं से सुना ,और तो कोई नहीं कहता ?'
'तुम ख़ुद देख लो ,कोई कहे चाहे न कहे .सच तो सच ही रहेगा '.
किसी की समझ में ही नहीं आ रहा था .
'बहस करने से कोई फ़ायदा नहीं .तुम्हीं देखो ''शास्त्री" की "स्त्री" निकाल दो तो क्या बचा?'
"शा" .
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हा हा ....बढ़िया है
जवाब देंहटाएंयह बढ़िया रही...शुभकामनायें आपको !
जवाब देंहटाएंप्रतिभा जी,
जवाब देंहटाएंहा..हा...हा......सही कहा आपने इन शास्त्री जी से प्रेमचंद जी के मोटेराम शास्त्री की याद आ गयी.....बहुत खूब|
नववर्ष की ढेरों शुभकामनाओं के साथ|
:):):)
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