आप बेल का ऐसा शर्बत बनाना चाहते है जिसे पी कर सारा परिवार ऐसा तृप्त हो जाए कि दुबारा आपको शर्बत बनाने की जरूरत ही न पड़े । तो लीजिये तरकीब हाज़िर है --
एक अच्छा पका हुआ कागज़ी बेल लीजिए ।उसे हाथ मे पकड़े-पकड़े घुमाते हुए आवाज़ लगाइए ,'हम बेल का शर्बत बनाने जा रहे हैं - किसे-किसे पीना है ?"
ज़ाहिर है शर्बत पीने मे किसी को आपत्ति नहीं होगी ,सब तैयार हो जाएंगे ।उसी प्रकार बेल को घुमाते हुए आवाज़ लगाइये ,'अरे कोई है इधर ?ज़रा पानी ले आना ।."बच्चे सुनकर अनसुनी कर जायेंगे.अच्छी तरह जानते हैं आपकी आदत. सब अपने-अपने काम मे लगे रहेगे .पत्नी पीनेवाला पानी लेकर हाज़िर होंगी ।आप ध्यान मत दीजिये ,आपको पानी से मतलब पीयें चाहे कुछ और करें ।
"जरा बेल पर डालो इसे धोएंगे ।'
बेल धोकर पकड़े-पकड़े ही पत्नी के सामने ज़ोर से ज़मीन पर दे मारिए ,बेल टूट जाएगा ।
"देखा कैसा बढ़िया बेल है ! ए-वन शर्बत बनेगा ।"
उनकी ओर देखिए ,वे उपकृत हो रही होंगी ।शायद वह चलने के चक्कर मे हों ,आप बोलना शुरू कर दीजिए ,'ज़रा भगोने मे चार-पाँच गिलास पानी देती जाना और एक चमचा भी ।'
आप इत्मीनान से कुर्सी पर बैठ जाइए ।सामने की मेज़ पर कुछ सामान रक्खा हो तो उठाकर कुर्सियों या सोफ़ेपर डाल दीजिए । मेज़ आपको चाहिये
पानी का भगोना आ जाय तो मेज़ पर रखवा लीजिए ।चम्मच से बेल का गूदा निकाल-निकाल कर पानी मे डालते रहिए ।आपके काम करने का ढंग देखकर पत्नी को ऊब लगेगी ,वह उठकर चल देना चाहेगी ।
आप रोक लीजिए ,'अरे जा कहाँ रही हो ,सुनो तो --।'
वह आपसे अच्छी तरह वाकिफ़ है रुकना नहीं चाहेंगी । पर आपको इस समय दबने की जरूरत बिल्कुल नहीं है ,' एक तो शर्बत बना रहै हैं ,हाथ गूदे मे सने हैं। अच्छा, हम अपने आप चीनी लिए लेते हैं । फिर ये मत कहना कि डिब्बा चिपचिपा रहा है या चीनी मे डले पड़ गए---।'
झख मार कर वह चीनी ला देगी । आठ -दस चम्मच चीनी भगोने मे डलवा लीजिए ।वह चीनी का डब्बा लेकर चली जाएँगी ।
आप थोड़ी देर बेल का गूदा निकालते रहिए ।उसे चीनी के साथ हथेली-अँगुलियों से मींज - मींज कर घोलिए । अब आवाज़ फिर लगाइए ,'अरे कोई है ?' एक बार मे कोई उत्तर नहीं मिलेगा । कोई उधर होगा तो भी नहीं सनकेगा ,डरिए मत चीखे जाइये ।
आवाज़ आएगी ,' अरे अब क्या है ?'
' इसे काहे में छाने ?'
'जग में छान लो ।'
'लेकिन जग यहाँ है कहाँ ?'
'ओफ़्फोह ,न लेकर बैठोगे ,न एक बार मे सब माँग लोगे !'
'अरे भई ,स्टेप-बाई-स्टेप चीज़ों की जरूरत पड़ती है ।कोई लिस्ट तो है नहीं हमारे पास , जो एक साथ माँग लें ।'
' हमारे हाथ अभी खाली नहीं हैं ,रसोई मे से उठा लो ।'
' अच्छा हम उठाए लेते हैं ,ये ज़मीन पर टपकेगा और हाथों से तुम्हारा और सामान गन्दा होगा फिर कुछ मत कहना ! हमे क्या -- हमतो तुम्हारी परेशानी बचा रहे थे ।हमी लिए आते हैं -- ' कहते हुए आप बैठे रहिए अगर चाहें तो हल्के से उठने का उपक्रम करके दिखा दें ।
जग आ जाएगा ।आप एकदम मुस्तैदी से बोलिये ,' ये छाना काहे से जाएगा ?'
' बड़ीवाली छन्नी से ।'
' कौन सी बड़ी छन्नी - जिससे गेहूँ छानती हो ?'
'नहीं जिससे सूप छानते हैं ।'
' वह छन्नी है कहाँ ?'
' रसोई मे टँगी है ।'
' हमारी तो समझ मे नहीं आता ,एक चाय की छन्नी है ,एक आटा छानने की ये सूप वाली कौन सी है ?'
हार कर वे छन्नी ला देंगी ।जग मे शर्बत छान लीजिये ।बच्चों को आवाज़ लगाइये ,' अरे ,चुन्ना मुन्ना ,बबली किट्टू कहाँ हो ?शर्बत पीना हो तो आ जाओ ।'
चुन्ना ,मुन्ना बबली किट्टू पुकार सुनते ही प्रकट हो जाएँगे ।
'गिलास तो ले आओ ।'
वे दौड़कर गिलास ले आएँगे , मेज़ पर रखवा लीजिए । पूछिए ,' बर्फ़ डालकर .या ऐसा ही ?'
वे झट् से फ़िज मे से बर्फ़ की ट्रे ले आएँगे ।
आप एक गिलास मे शर्बत भरिए उसमे बरर्फ़ डलवाइए ,'देखें , चीनी वगैरा ठीक है कि नहीं -- ' कहते हुए गिलास लेकर उठ जाइए ।
' सब लोग शर्बत लेलो जग में बना रक्खा है ।'
बेल का खपटा , बीजे ,छन्नी सब वहीं छोड़ दीजिए ,अपने आप उठ जाएगा ।
एक बात और कह दीजिए ,'बर्फ़ तुम लोग अपने-अपने हिसाब से डाल लेना ।'
आपके बनाए शर्बत से ऐसी तृप्ति मिलेगी कि दुबारा कोई बनाने को नहीं कहेगा ।
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जवाब देंहटाएंजानतीं हैं आप..मेरी आँखों के सामने अभी अभी एक भद्र पुरुष सफ़ेद कुर्ता पाजामा पहने..आँखों पर ऐनक चढ़ाये...एक कांच के ग्लास में शर्बत लेकर एक मेज़ (jo काफी अस्त व्यस्त सी है...काफी सारा पानी..शर्बत फैला हुआ है...) से उठे और मूंछों ही मूंछो में मुस्कुराते हुए बाहर आ रहे हैं.....और उनकी पृष्ठभूमि में...३ ४ बच्चे नज़र आ रहे हैं......
जवाब देंहटाएं:)
मेरे कहने का अर्थ है...कितना जीवंत लेखन है ..सारे दृश्य सामने तैरते रहते हैं...और अपनी अपनी बारी आने पर आँखों में उतरने लगते हैं......
खैर...बहुत बहुत mazedaar पोस्ट है..:D....
बधाई खूब सारी...