शुक्रवार, 23 अप्रैल 2010

पिटारा नं. 1.- गार्डियन

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मुझे- देख-देख कर हँसी आती है ।एक छोटा-सा बच्चा भी ,अगर वह लड़का है तो अपने को अभिभावक समझने लगता है ।मैं अगर ठीक से कपड़े न पहने होऊँ तो शर्मिन्दगी मेरे बेटे को होती है ।वह पूरा ध्यान रखता है ।
जब में नहा कर निकलती हूँ तो पेटीकोट-ब्लाउज़ पहने - घर में और कोई नहीं होता - हाथपाँव में क्रीम लगाना ,बाल काढ़ना आदि काम कर लेती हूँ .साड़ी पहनने के लिए कमरा अधिक ठीक जगह है .

उसे इस पर आपत्ति होती है ।मुझे फ़ौरन टोकता है - 'मम्मी ,ठीक से कपड़े पहनिये ।'
और ख़ुद चाहे टायलेट से आया हुआ शेम-शेम ही खड़ा हो !
*नहा कर ,पेटीकोट-ब्लाउज़ पहने ,बालों में तौलिया लपेटती जब बाथरूम से निकली .
सनी ने इलास्टिकवाला जाँगिया उतार फेंका था और सिर्फ़ बनियान पहने बराम्दे में खेल रहा था .
मुझे आते देख खड़ा हो गया .
कुछ क्षण ध्यान से देखा फिर बोला ,मम्मी ,थीक छें कपले पेनो .

मैने ध्यान नहीं दिया .तौलिया खोल कर बाल झाड़ने लगी ..वह ज़ोर से चिल्लाया- मम्मी .
क्या है- मैंने पूछा
कपले पेनो .
पहने तो हूँ ने अपने पर सावधानी से नज़र डालते हुए कहा .
थीक छे पेनो .
अच्छा तो ये बात है -मेरे खाली पेटीकोट-ब्लाउज़ पहनने पर इन्हें ऑब्जेक्शन है .
,ज़रा ख़ुद को तो देखें न जागिया न शर्ट ,सिर्फ़ बनियान पहने खड़े है और मुझ पर ताव दिखा रहे हैं .
मुझे हँसी आ गई ,
सनी माँ को अधूरे कपड़े पहने देख खिसियाय़ा ,पास आकर फिर चिल्लाया -मम्मी कपले पेनो ,धूती पेनो अब तो हँसी रुक नहीं रही ,निर्झर की अबाध धारा सी बही चली आ रही है ,हँसे चली जा रही हूँ .आँख-नाक-मुँह ,सब हँसी से भरे हुए .
सनी माँ को इस रूप को किंचित् क्रोध से देख रहा है ,और कपले पेनो की रट लगाए है .उसे मां का व्यवहार बड़ा अनुचित लग रहा है .
हँसती हुई कमरे में घुस गई .
सुनो ,तुम्हारा बेटा अभी से मेरा गार्डियन समझने लगा है अपने को ..
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