बुधवार, 9 जून 2010

कौल-फ़ेल का इत्मीनान

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पत्रकारिता का कोर्स किया था तो पढ़ा था -कुत्ता आदमी के काटे तो खबर नहीं बनती ,हाँ आदमी अगर कुत्ते के काट खाये तो फ़ौरन खबर बन जाती है ।तब बड़ी हँसी आई थी ,पर सत्य फिक्शन से अधिक विचित्र होता है (यही कारण है कि लोग सच पर विश्वास नहीं कर पाते और झूठ पर आसानी से कर लेते हैं ।)
एक समाचार पढ़ा था - अमेरिका के विक्टोरया में आदमी ने कुत्ते के काट खाया ।
हुआ यह कि पुलिस ने अपने रुटीन वेहिकल चेकिंग करते समय उसे रुकने का इशारा किया ।वह नहीं रुका। चलता चला गया लगा । पुलिस ने पीछा किया तो उसने भागने की कोशिश की ।पेगो ,पुलिस ने 3 वर्ष का जर्मन शेपर्ड कुत्ता पीछे लगा दिया ।
आदमी के पीछे कुत्ता लगाया ये कहाँ की इन्सानियत हुई । उसने बचने की पूरी कोशिश की ।कुत्ते के सिर पर वार किया ,उसका गला दबाया और अपने दाँतों से कुत्ते को काट खाया ,आफिसर माइकल आडे आ गया तो उससे भी लोहा लिया उसके भी चोटें आईं ।आदमी का नाम सार्वजनिक नहीं किया गया क्यों बेचारे आदमी को शर्मिन्दा करें ।
अब पुलिस की मानवीयता देखिये ।उसे खतरनाक ड्राइविंग ,मादक पदार्थ रखने और ड्यूटी पर पुलिस आफिसर से मारपीट करने का अपराधी करार दिया ।कुत्ता भी ड्यूटी पर था ।पर उसे चोट पहुँचाने के लिये मुकद्दमा नहीं चलायेंगे ।कारण -कानूनन कुत्ता शपथ ग्रहीत पुलिस आफ़सर नहीं है ।अब यह बात अलग है पुलिस डाग हैंडलर्स संघ कानून को ही बदल डालना चाहता है उन्हें अपने कुत्ते अधिक महत्वपूर्ण लगते हैं ।उच्च प्रशिक्षण प्राप्त हैं और पुलिस विभाग के बहुत मूल्यवान सदस्य हैं ।कुत्ता प्रशिक्षित है आदमी कुशिक्षित ।
असलियत यह है कि आदमी अपना काम कर रहा है, कुत्ता अपना ।आदमी की जात कभी समान नहीं सोचती ,न इनका व्यवहार एकसा होता है ।एक से एक निराले ।देखिये कुछ चोर हैं कुछ चौकीदार ।जानवर फिर भी एक सा सोचते एक सा करते हैं ।आदमी कब क्या करेगा कुछ ठिकाना नहीं । उसके कौल-फ़ेल का कोई इत्मीनान नहीं ।जानवरों को सिखा-पढ़ाकर आदमी के उपयुक्त बनाया जा सकता है ,पर पढ़ा-लिखा कर आदमी को जानवर के अनुसार नहीं ढाल सकते । प्रशिक्षित कुत्ता आदमी से ज्यादा कुशल हो जाता है -कई कामों में ,जब कि पढ़-लिख कर आदमी न इधर का रहता है न उधर का ।
और देखिये न कुत्ते का महत्व तो प्राचीन काल से रहा है । युठिष्ठिर के साथ एक कुत्ता स्वर्ग जा सका ,न बाकी के पाण्डव ,न द्रौपदी ।
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9 टिप्‍पणियां:

  1. "लोग सच पर विश्वास नहीं कर पाते और झूठ पर आसानी से कर लेते हैं" - शुभकामनाएं

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  2. सुन्दर कुत्ता व्याख्यान । स्वागत है जी

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  3. ई-गुरु जी ,
    मेरा मनोबल बढ़ाया आपने ,आभारी हूँ .
    कंप्यूटर के कामों में नितान्त अकुशल हूँ ,सहायता अवश्य लूँगी .
    धन्यवाद सहित ,
    प्रतिभा सक्सेना.

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  4. इसकी शिकायत कुत्ता आयोग से करनी पड़ेगी....

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  5. बहुत अच्छा और सच्चा लिखा है। ब्लाग जगत में आपका स्वागत है।

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  6. अति सुन्दर, सटिक.
    कितनी बार सोचता हु कि इतना अच्छा कैसे लिखा जाता है.
    अपनी ढेरों शुभकामनाओ के साथ
    shashi kant singh
    www.shashiksrm.blogspot.com

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  7. हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
    कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें

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  8. आ. जयराम'विप्लव'जी
    आपने मेरे इस ब्लाग में रुचि ली और मुझे आमंत्रित किया , प्रोत्साहन हेतु मैं आभारी हूँ .
    थोड़ी-सी आपत्ति है -'बाज़ार के बिस्तर' वाली जो बात उद्धरण-चिह्नों में लिखी गई है उस की भाषा और भाव मेरी समझ में नहीं आए .स्पष्ट करने की ज़हमत न उठाएँ बस इतनी कृपा करें कि ऐसे प्रयोग न करें - इसे मेरा नम्र निवेदन समझें अन्यथा न लें !

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