सोमवार, 3 जनवरी 2011

बेवकूफ़

*
'यार ,ऐसा कोई उपाय बताओ कि पत्नी से कहा-सुनी में हार न माननी पडे .'


'तुम्हारी पत्नी बोलने में ही तेज है ,या दिमाग से भी ?'

'दोनों में .'

फिर ?'

'हम लोगों का रोज झगडा होता है .'

'क्यों ?'

'वह कुछ कहती है ,तो मुझे ताव आ जाता है .मैं तेज़ पड जाता हूँ ,कि वह दब जाये .'

'कोई फायदा होता है ?'

'नहीं . खिसिया कर मैं ही चुप हो जाता हूँ .'

'तो पहले ही चुप रहा करो .'

'फिर वह दबेगी कैसे ?'

'तुम सोच लिया करो वह बेवकूफ है ।'

'पर वह बेवकूफ नहीं है '

'तो तुम बेवकूफ हो , अपनी बेवकूफी खुलने के पहले ही यह सोच कर चुप रहो कि वह बेवकूफ है .'

'अरे हाँ ,यह तो मैंने सोचा ही नहीं .मैं तो सच्ची बेवकूफ़ हूँ . '

*